Hindi Panchtantra story with moral

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जादुई शहद Hindi Panchtantra story

Hindi Panchtantra story – एक बार एक जंगल में एक भालू रहता था भालू प्रतिदिन पूरे जंगल में घूमता और नदी में जाकर के मछलियों को पकड़ता और उन्हें बड़े चाव से खाता धीरे धीरे उसका समय अच्छा खासा बीत रहा था, जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं भालुओ को शहद खाना बहुत ही अच्छा लगता है अतः वह प्रतिदिन शहद की तलाश में निकल जाया करता था और कहीं ना कहीं से वह शहद इकट्ठा कर ही लेता था अपने खाने के लिए

एक दिन वह शहद की तलाश में चलते-चलते काफी दूर निकल गया जब उसने दिन की तरफ देखा तो सूरज ढलने वाला था और जल्दी ही अंधेरा आने वाला था उसने सोचा कि अगर मैं वापस जाऊंगा तो अपने गुफा तक नहीं पहुंच पाउंगा अतः मुझे आज यहीं विश्राम कर लेना चाहिए यह सोचकर वह रात को वहीं रुक गया जैसे-तैसे सुबह हुई फिर वह अपने भोजन की तलाश में निकल पड़ा पूरा दिन ढूंढने के बाद उसे भोजन नहीं मिला फिर से वह रात को वही सो गया अगली सुबह फिर भोजन की तलाश में लग गया ऐसा करते करते उसको कई दिन बीत गए और वह दूसरे जंगल में पहुंच गया

गया तो था वह शहद ढूंढने के लिए लेकिन शहद ढूंढ़ते ढूंढ़ते उसके खाने के भी लाले पड़ने लगे और इसलिए अब वह शहद छोड़ कर के खाने की तलाश में रहने लगा धीरे-धीरे वह बहुत कमजोर हो गया क्योंकि उस जंगल में उसे भोजन नहीं मिल पा रहा था उसने सोचा कि अब मुझे धीरे धीरे अपने जंगल की तरफ रुख करना चाहिए उसे डर था कि वह जिंदा अपने घर तक शायद ही पहुंच पाए क्योंकि वह बहुत ही कमजोर हो चुका था

उसने अपने अंतिम समय में भगवान को याद किया और भगवान को याद करते करते अपने घर की तरफ निकल पड़ा 2 दिन बीत गए थे चलते चलते और अभी भी उसका जंगल और उसका गुफा दूर था उसने सोचा कि यह मेरी सबसे बड़ी मूर्खता थी दूसरे जंगल में जाकर के शहद ढूंढने की और यह सोचते सोचते वह बहुत ही क्रोधित हो गया और उसने कहा कि अगर वह जिंदा बचा और अपने घर पहुंच गया तो वह कभी भी मधुमखीयो को कुछ नहीं देगा और अपने जंगल में रहने भी नही देगा

थोड़ी देर बाद उसने देखा उसके सामने एक प्रकाश उत्पन्न हुआ वह शायद कोई देवता थे उन्होंने उसकी हालत देख कर के उसका हाल-चाल पूछा उसने अपनी सारी व्यथा उनसे बताया उसने बताया कि उसे शहद खाना बहुत ही अच्छा लगता है और उसी की तलाश में आज वह भटकते भटकते ऐसी हालत में हो गया है कि अब वह शायद जिंदा ना बचे उस देवता ने उसकी बात सुनकर के उसके शहद के प्रति लगाव को देख कर के उन्होंने आशीर्वाद दिया कि तुम जब भी एक गड्ढा खोदकर के उसमें पानी डालकर के और उन्होंने एक अंगूठी दिया बोला की अंगूठी को उसमें धो दो दोगे तो वह शहद बन जाएगा

लेकिन तुम्हें एक चीज ध्यान रखना पड़ेगा कि तुम शहद के लिए किसी को भी मना नहीं करोगे अगर तुम मना करोगे तो उस दिन से यह अंगूठी गायब हो जाएगी और तुम शहद नहीं बना पाओगे इसको सुन करके भालू बहुत ही खुश हुआ थोड़ी देर बाद वहां से देवता गायब हो गए उसने पास ही के एक तालाब में पानी देखा उसने तुरंत बगल में एक छोटा सा गड्ढा किया और थोड़ा पानी डालकर अंगूठी को धो दिया वह पानी तुरंत ही शहद में तब्दील हो गया उसने शहद को पिया उसके शरीर में थोड़ी जान आई

फिर उसने और बड़ा गड्ढा खोदा और उसमें पानी रखा और फिर उसमें अंगूठी को धोया फिर वह शहद में तब्दील हो गया उसने फिर से शहद को पिया और धीरे-धीरे ऐसा करते-करते वह हटा कट्ठा हो गया उसके बाद से उसने अपने पूरे जंगल में यह घोषणा करवाया कि जो भी शहद पीना चाहता है खाना चाहता है वह फ्री में शहद ले जा सकता है सकता है धीरे धीरे सब पशु पक्षी उसके पास आते और शहद को पीते और सभी उसकी तारीफ करते

एक दिन एक मधुमक्खी उस भालू के पास आई और उसने उससे कहा कि इस जंगल में अब फूल कम ही बचे हैं जिसकी वजह से मधुमक्खियां अब शहद बनाने में असमर्थ हो गई हैं इसलिए उसे प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा शहद उसे चाहिए इस बात को सुनकर के भालू गुस्से में आ गया और उसने उसे भगा दिया उसने बोला कि भाग जाओ मैं तुम्हें कुछ नहीं दूंगा और अगर तुम थोड़ा भी देर की तो मैं तुम्हें मार डालूंगा इस बात को सुन कर के वह मधुमक्खी चली गई

थोड़ी ही देर बाद उसने देखा कि उसके पास से वह अंगूठी भी गायब हो चुकी थी फिर उसे उस देवता कि वह सारी बात याद आई और वह उदास होकर के रोने लगा लेकिन अब क्या हो सकता था

Moral of Hindi Panchtantra story (१)

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें क्रोध नहीं करना चाहिए अगर हम क्रोध करते हैं तो कई बार हमारे पास से बहुत ही कीमती चीज ही नष्ट हो जाता है चाहे वह हमारा किसी के प्रति संबंधी क्यों ना हो कई बार हम क्रोध के कारण अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को भी खो देते हैं अतः हमें क्रोध नहीं करना चाहिए

Moral of Hindi Panchtantra story (२)

इस कहानी से हमें दूसरी शिक्षा यह मिलती है कि अगर हमने अपने जीवन में कोई निर्णय लिया है भविष्य के लिए तो जरूरी नहीं है कि हम उसे निभाते ही रहे अगर वह निर्णय हमने गलत लिया है तो हमें उस निर्णय को बदल देना चाहिए या छोड़ देना चाहिए जैसा कि अगर भालू अपने लिए हुए निर्णय को भुला दिया होता और शहद दे दिया होता तो शायद उसके पास से वह अंगूठी गायब नहीं होती और वह पूरा जिंदगी मौज से शहद खाता

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