Short Hindi stories with moral values ठग बुढ़िया

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ठग बुढ़िया Short Hindi stories with moral values

काफी समय पहले एक छोटे से गांव में एक विकलांग लड़का रहा करता था जिसकी उम्र लगभग  8 या 9 वर्षीय होगी वह बहुत ही गरीब था क्योंकि उसकी एक बूढ़ी मां थी और उसके पिता नहीं थे उसकी माता बूढ़ी होने के बावजूद भी गाव के लोगो का बहुत सारा कार्य किया करती थी | और उससे जो भी पैसे और अनाज मिलता था  उससे इन दोनों का भरण पोषण होता था

लेकिन जब यह विकलांग लड़का अपनी माता को कार्य करते हुए देखता तो उसे बड़ा बुरा लगता क्योंकि उसकी मां इतनी कमजोर थी और उसके बावजूद भी बहुत सारा काम उसको करना पड़ता था 

एक दिन जब वह अपनी मां को काम करते हुए देखा तो उसने कहा कि माँ अब कोई काम ना करो क्योंकि अब तुम बहुत ही कमजोर हो चुकी हो मैं जाता हूं और कहीं से कुछ पैसे कमा कर लाता हूं और इतना कहकर वह शहर चला गया |

जब वह वहां पहुंचा तो उसने सोचा इतने बड़े शहर में मैं कौन सा काम करू क्योंकि मैं विकलांग हूं और मैं बड़ी मुश्किल से यहां तक चल कर आ पाया हूं इतना सोचते सोचते वह पास ही  के फुटपाथ पर अपना छोटा सा कपड़ा बिछाकर बैठ गया | 

उसको ऐसे बैठा देख एक व्यक्ति जो वहां से गुजर रहा था उसने  कुछ पैसे उसके सामने रख दिए और वह चला गया लेकिन वह विकलांग लड़का ज्यादा दूर से पैदल चलकर आया था जिसकी वजह से उसकी थोड़ी सी नींद लग गई थी और वह काफी देर तक बैठे-बैठे ही सोया रहा  लेकिन जब उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि उसके सामने बहुत सारे पैसे एक एक दो दो और पांच पांच के सिक्के पड़े हुए हैं  वह बहुत खुश हुआ और उन पैसों की एक पोटली बांधकर घर जाने के लिए  तैयार हो गया 

लेकिन जैसे ही वह घर जाने के लिए घर के रास्ते पर निकला उसने देखा कि अब तो अंधेरा हो रहा है तब उसे डर लगने लगा क्योंकि उस रास्ते में कुछ चोर डाकू भी रहते हैं जो कि उसके पैसे को छीन सकते थे ऐसा उसे आभास हुआ इसलिए वह काफी देर तक खड़ा होकर इस बात को सोचता रहा 

तभी वहां से एक बुढ़िया गुजरी और उसने जब इस विकलांग के हाथ में सिक्को की पोटली को देखा तो बड़ा खुश हुई और उसने कहा कि बेटा तुम क्यों परेशान हो बेचारा लड़का बहुत ही भोला भाला था इसकी वजह से उसने सारी बात को बता दिया 

बुढिया मन ही मन बहुत खुश हुई और उसने कहा पास ही में मेरा घर है मेरे घर के पास चल चलो रात को रुकना और सुबह अपने घर के लिए निकल जाना लड़का तैयार हो गया और उसके घर चला गया बुढ़िया ने उसे खाने पीने के लिए दिया और उसका बिस्तर लगा दिया और फिर उसके सोने का इंतजार करने लगी |

अभी वह सोने ही वाला था कि उसे कुछ आवाज सुनाई दी जब उसने ज्यादा गौर किया तब उसे पता चला कि बुढ़िया फुसफुस कर रही है और बोल रही है कि इसको नींद क्यों नहीं आ रहा है जल्दी से अगर यह सो जाता तो मैं इसके पैसे को गायब कर देती और इसे मार डालती 

उसकी इस बात को सुनकर अब बेचारे लड़के की नींद उड़ गई और वह उठ कर बैठ गया थोड़ी देर बाद जब बुढ़िया आई तो उसे बैठा देखकर उसने कहा बैठे क्यों हो बेटा सो जाओ उसने कहा पता नहीं क्यों मेरे पैर में दर्द हो रहा है इसीलिए मुझे नींद नहीं आ रही है लगता है मुझे कल भी यही रुकना पड़ेगा लेकिन मैं आप को कष्ट नहीं देना चाहता 

बुढिया ने मन ही मन सोचा कि मेरे पास 2 दिन का समय मिल जाएगा और किसी ना किसी तरह इससे मैं पैसे हथिया लूंगी इसलिए वह बोली चिंता की कोई बात नहीं है बेटा आप दो-तीन दिन भी रह सकते हो और उसके बाद से बुढ़िया जाकर सो गई क्योंकि बुढ़िया को लग रहा था कि अब वह 1 दिन और रहने वाला है

लेकिन जैसे ही सुबह हुआ तो वह बुढ़िया से बोला कि मैं थोड़ा सा बाहर जा रहा हूं कुछ खाने पीने के लिए लेते आता हूं, आपके लिए क्या लेकर आऊंगा 

बुढ़िया बड़ा खुश हुई और उसने कहा मेरे लिए समोसे लेते आना और वह वहां से चला गया जैसे ही वह उस घर से दूर गया उसके बाद बहुत तेज चलने लगा और धीरे-धीरे वह अपने घर निकल गया काफी समय बीत जाने के बाद जब बुढ़िया ने उसे वापस आते नहीं देखा तो वह समझ गई कि वह बेवकूफ बनाकर इसे चला गया है

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी भी अनजान व्यक्ति पर ऐसे ही भरोसा नहीं करना चाहिए और अपनी सारी बात नहीं बतानी चाहिए अन्यथा वह आपका गलत फायदा भी उठा सकता है

आप हमें कमेंट के माध्यम से जरुर बयाए की यहठग बुढ़िया Short Hindi stories with moral values आप को किसी लगी

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