Short moral story in Hindi for class 10 – एक गांव में एक किसान रहता था जो प्रतिदिन ईश्वर की भक्ति करता और अपने खेतों में काम किया करता था उसके साथ सब कुछ अच्छा चल रहा था उसका परिवार भी अच्छा था उसके खेत में भी अच्छे खासे फसल हो जाया करते थे जिससे उसका भरण पोषण हो सके और वह जो भी प्राप्त करता उसके लिए भगवान का शुक्र अदा करता और कहता कि हे प्रभु आपने मुझे जो दिया है उसके लिए धन्यवाद उसका पूरा जीवन ऐसे ही निकल गया और हंसी खुशी से वह अपना जीवन जिया
उसी गांव में एक और किसान रहता था जो कि हमेशा भगवान को दोष दिया करता था उसके चार बच्चे थे और चारों ही ठीक-ठाक से काम नहीं करते थे जिसकी वजह से उनकी स्थिति ठीक नहीं थी और वह आए दिन भूखे ही सो जाते थे उनके खेतों में भी अच्छा फसल नहीं हुआ करता था और वह किसान प्रतिदिन भगवान को यह कहता कि अगर हम सब तेरी संतान हैं तो तुम हम सबको एक बराबर क्यों नहीं देखते हो और हमेशा शिकायत करता था उसे कोई ना कोई शिकायत रहती ही थी
दोनों किसान मर गए और जब वह ईश्वर की दरबार में पहुंचे तो पहले कीसान में भगवान को बोला कि हे प्रभु आपने मुझे बहुत अच्छा जीवन दिया था मेरे बच्चे भी ठीक-ठाक थे मेरी पत्नी भी ठीक थी सभी ने मेरा साथ बहुत अच्छे से निभाया मैं आपकी लीला से बहुत ही खुश हूं प्रभु, भगवान ने उसको बोला कि तुम हर कार्य में मन लगाकर के करते हो इसकी वजह से तुम्हें सब कुछ अच्छा लगा
ऐसा नहीं कि मैंने तुम्हें बिना खेती किये ही तुम्हें फसल दे दिए ऐसा नहीं कि तुमने मेहनत नहीं किया और बिना मेहनत का ही मैंने तुम्हें कोई फल दे दिया मैं सबको मेहनत करने पर ही फल देता हूं जो जितना मेहनत करता है उसी के हिसाब से पाता है अतः तुमने मेहनत किया और श्रद्धा भाव रखा जिसकी वजह से तुम्हें तुम्हारा उचित फल मिला
वहीं पर खड़ा दूसरा किसान बोला कि मैं आपके दिए हुए जीवन से संतुष्ट नहीं हूं मेरा पूरा जीवन कष्ट में बीता मेरे बच्चे और मेरी पत्नी भी अच्छी तरह से मेरा साथ नहीं दिए मैं आपकी लीला से खुश नहीं हो प्रभु हम सब आपकी संतान हैं फिर भी आपने किसी को खूब दिया तो किसी को कुछ नहीं दिया इस चीज को देख कर के मुझे अच्छा नहीं लगता और मैंने आपकी इसीलिए पृथ्वी लोक पर बहुत बुराइयां भी की
इस पर भगवान ने बोला कि देखो अगर तुम अपने खेत में 4 आम के पेड़ लगाते हो और तुम अगर चारों पेड़ों को उसके हिसाब से जो चाहिए पानी खाद और उसकी देखरेख अगर तुम नहीं करोगे तो तुम्हें उचित फल कैसे मिलेगा जब वह पेड़ छोटे रहते हैं तो उनकी देखरेख करनी पड़ती है जानवरों से जब वह धीरे-धीरे बड़े हो जाते हैं फिर भी हमें उनका देखरेख करना होता है समय-समय पर हमें उन्हें खाद पानी देना होता है अगर तुम उन्हें खाद पानी नहीं दोगे तो वह तुम्हें कैसे फल देंगे
ठीक उसी प्रकार से अगर तुम अपने 24 घंटे के कम से कम 4 घंटे भी कार्य ईमानदारी पूर्वक नहीं करोगे तो तुम्हें उचित फल कहां से मिलेगा और कैसे खुश रहोगे मेने तुम्हे सबसे कीमती चीज तुम्हारा शारीर तुम्हे दिया तुम पूरी तरह से स्वस्थ थे तुम्हारे हाथ पैर अच्छे से कार्य करे थे पर तुमने उनका सही उपयोग नही किया जिसकी वजह से तुम दुखी थे| इस बात को सुनकर के किसान को अपनी गलती का आभास हुआ और उसने बोला कि हे प्रभु मुझे क्षमा करें सारी गलती मुझ में ही थी
Moral of This Story
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जो भी कार्य सौंपा गया है या हम जो भी कार्य कर रहे हैं उसे पूरे इमानदारी पूर्वक करनी चाहिए अगर हम ईमानदारी पूर्वक कार्य को करते हैं तो हमें उसका फल अवश्य मिलेगा क्योकि आज तक ऐसा कभी नही हुआ की हमें अपने कर्म का फल न मिला हो
इस कहानी से हमें दूसरी शिक्षा यह मिलती है कि हम अगर दूसरों की शिकायत करना छोड़ कर के उस शिकायत के समय में अगर अपना कार्य करें तो शायद हमें शिकायत करने का मौका ही नहीं मिलेगा और हमारा परिवार और साथ ही साथ यह संसार भी सुखी हो जाएगा
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