samajhdari ka inaam good story in hindi
बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में बाबूलाल नाम का एक पेंटर रहता था वह बहुत इमानदार था किंतु बहुत गरीब होने के कारण घर-घर जाकर पेंट का काम किया करता था उसकी आमदनी बहुत कम है बहुत मुश्किल से उसका घर चलता था पूरा दिन मेहनत करने के बाद भी यह सिर्फ दो वक्त की रोटी ही जुटा पाता था मैं हमेशा चाहता था कि उसे कोई बड़ा काम मिले जिससे उसकी आमदनी अच्छी हो प्रभु छोटे-छोटे काम भी बड़ी लगन और ईमान दारी से करता था 1 दिन उसी गांव के जमींदार ने बुलाया और कहा सुनो बाबू लाल मैंने तुम्हें एक जरूरी काम के लिए बुलाया है samajhdari ka inaam good story in hindi
क्या मेरा काम करोगे जी हजूर जरूर करूंगा बताइए क्या काम है मैं चाहता हूं कि तुम मेरे नाउ प्रिंट करो और यह काम आज ही हो जाना चाहिए हजूर मैं यह काम आज ही कर दूंगा नाव पेंट करने का काम पाकर बाबूलाल बहुत खुश हुआ पर जमीदार बोला वह सब तो ठीक है बाबू लाल पहले यह तो बताओ कि तुम इस काम के कितने पैसे लोगे ऐसे तो यह काम के 15 सो रुपए लगते हैं बाकी आपको जो पसंद है वह दे देना ठीक है तुम्हें 15 साल मिल जाएंगे पर काम अच्छा होना चाहिए जी हजूर आपको काम बढ़िया है मिलेगा आप चिंता ना करें जमीदार उसे नाव दिखाने के लिए नदी के किनारे ले जाता है samajhdari ka inaam good story in hindi
देखने के बाद जमीदार से थोड़ा समय मांगता है और अपने रंग का सामान लेने चला जाता है सामान लेकर जैसे ही बाबूलाल आता है नाव को रंगना शुरू कर देता है जब बाबूलाल रंग रहा था तभी देखा कि ना मैं अचानक एक होल दिखाई देता है मैं अगर जो इसे ऐसे ही प्रिंट करूंगा तो किसी के इस होल के बारे में पता नहीं चलेगा और नाव पानी में डूब जाएगी पहले इस छेद को ही भर देता हूं और छेद को भरकर नाव को प्रिंट कर देता है उसके बाद जमीदार के पास जाता है और कहता है हुजूर नाउ प्रिंट हो गया आप चल कर देख लीजिए जमीदार बोलता है ठीक है चलो चलते हैं samajhdari ka inaam good story in hindi
फिर वह दोनों नदी किनारे पहुंच जाते हैं नाव को देखकर जमीदार बोलता है अरे वाह रे बाबूलाल तुमने तो बहुत अच्छा काम किया है ऐसा करो कल सुबह आकर तुम अपने पैसे ले जाना और पेंटर बोलता है ठीक है हजूर मैं कल सुबह आकर अपना मजदूरी लेकर जाऊंगा फिर वह दोनों अपने अपने घर चले जाते हैं जमीदार के परिवार उसी नाव में बैठकर उस पार घूमने के लिए जाते हैं तभी जो जमीदार का नाव का देखरेख करता था वह छुट्टी से चलाता है और परिवार को घर पर ना देख कर जमीदार से परिवार के बारे में पूछताछ करता है जमीदार उसे सारी बात बताता है
जमीदार की बात सुनकर रामू चिंता में पड़ जाता है उसे चिंतित देखकर जमीदार पूछता है क्या हुआ रामू तुम इतना चिंता क्यों हो तभी कहता है रामू सरकार उस नाम में तो छेद था रामू की बात सुनकर जमीदार भी बहुत चिंता में पड़ जाता है तभी उसके परिवार पूरा मौज मस्ती दिनभर करके घर वापस आ जाते हैं उन्हें ठीक देखकर जमीदार चैन की सांस लेता है फिर जमीदार अगले दिन बाबूलाल को बुलाता है यह लो बाबूलाल तुम्हारा मेहनत का पैसा तुमने बहुत बढ़िया काम किया है मैं बहुत खुश हूं बाबूलाल पैसे लेकर गिनता है तो हैरान हो जाता है
क्योंकि वह पैसे ज्यादा थे जमीदार से कहता है हुजूर आपने मुझे गलती से ज्यादा पैसा दे दिए हैं तभी जमीदार कहता है नहीं बाबूलाल मैंने यह तुम्हें गलती से नहीं दिया है तुम्हारे मेहनत का ही पैसा है हमारे बीच तो ₹15000 की बात हुई थी यह तो 6000 हैं यह फिर मेरे मेहनत का कैसे हुआ क्योंकि तूने एक बहुत बड़ा काम किया है तभी पेंटर पूछता है कैसा हुजूर तूने इस नाव के छेद को भर दिया जिसके बारे में मुझे पता भी नहीं था तुम चाहते तो उसे ऐसे भी छोड़ सकते थे चाहे इसके लिए तुम अधिक पैसे भी मांगते हैं लेकिन तूने ऐसा बिल्कुल भी
नहीं किया जिसके कारण मेरे परिवार वाले सुरक्षित उस नाव में सफर किए अगर तुम उस छेद को ना भरते मेरे परिवार वाले डूबी सकते थे आज तुम्हारी वजह से वह सुरक्षित है इसीलिए यह पैसे तुम्हारे मेहनत और ईमानदारी के हैं फिर भी हुजूर उस छेद को भरने के लिए इतने पैसे तो नहीं बनते बस बाबूलाल बस अब तुम कुछ भी मत कहो यह पैसे तुम्हारे ही हैं तुम इसे रख लो जमीदार की बात सुनकर और बाबूलाल पैसे ले कर बहुत खुश हुआ और कहने लगा बहुत-बहुत धन्यवाद जमीदार साहब ऐसा कहकर वह वहां से खुशी-खुशी चला गया धन्यवाद