Ek budhi maa ki kahani
मां के दिल जैसा world में किसी का heart नहीं होता है और मां से बड़ा world में कोई नहीं होता है हम कैसे भूल जाते हैं उस जन्म देने वाली mother को जो हमें जन्म देते time पता नहीं कितने दर्द को चाहती हैं हम कैसे भूल जाते हैं अपने पिता को जो हमारे आने का इंतजार करते हैं हम कैसे भूल जाते हैं उन पुराने खिलौनों को जिनसे हम खेल कर बड़े हुए हैं हम आखिर में क्यों भूल जाते हैं उन सब चीजों को तो दोस्तों आज post में हम बात करेंगे मां के बारे में और हम आपको बताएंगे शायद हमारे इस पोस्ट से आपको थोड़ी सी समझदारी मिले और आप इस चीज को समझ पाए हम आपको बता दें दोस्तों कि मां के दिल जैसा दुनिया में किसी भी व्यक्ति का दिल नहीं होता है मां वह हर एक चीज छुपा लेती है जब हम बाहर से कोई गलती करके आते हैं तो दोस्तों हम उस मां को क्यों भूल जाते हैं Ek budhi maa ki kahani
आइए एक बूढ़ी मां की कहानी मैं आपके सामने पेश कर रहा हूं एक मां अपने बेटे को 9 महीने पेट में रखती है उसके बाद उसे जन्म देती है उस से उम्मीदें लगाई रखी रहती हैं कि मेरा बेटा स्कूल जाएगा स्कूल जाने के बाद मेरा बेटा अब जॉब करेगा मेरे सारे दुख खत्म हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं होता है जिसकी उंगली पकड़कर हम चलना सीखते हैं उसी को घर से निकालने के लिए भी सोचते हैं अरे हमारी उंगली तो वह उस समय पकड़ी होती हैं जिस समय हम चलना भी नहीं जानते हैं हमें वह खाना उस समय खिलाती हैं जिस समय हम खाना नहीं जानते हैं हमें कपड़े उस समय पहनाते हैं जिस समय हम पहनना नहीं जानते हैं उस्मान है बहुत उम्मीद लगाए रखे थे अपने बेटे से कि मेरा बेटा बड़ा होकर मेरे सारे दुख दर्द को खत्म कर देगा और बेटे को दूसरे के घर में काम करके अपने बेटे को इंजीनियर बना देती हैं Ek budhi maa ki kahani
कुछ सपोर्ट उनकी सहेलियों का भी होता है जो कर्जे पर पैसा दे देती हैं मैं यह सोचकर कर्जा ले लेती है कि मेरा बेटा एक न एक दिन तो चुका ही देगा और यह सोच कर के अपने बेटे को इंजीनियर बना देते हैं लेकिन बेटा इंजीनियर होने के बाद जॉब पकड़ लेता है जॉब करते करते अच्छी खासी सैलरी भी मिलने लगती है उसके बाद बेटे की शादी का दिन आ जाता है और बेटे की शादी हो जाती है तो मां बोलती है कि बेटा शादी भी हो गया तू जॉब भी पकड़ लिया लेकिन तू जानता है कि तूने इंजीनियरिंग की जो पढ़ाई की है उसके पैसे मैंने कर्ज ले कर दिया है तो बोलता है Ek budhi maa ki kahani
मां तुम चिंता मत करो मैं वह सारे कर्जा चुका दूंगा लेकिन सिर्फ कहता है करता नहीं है इस तरीके से 1 दिन अपने मां को भी छोड़कर शहर चला जाता है अपनी वाइफ को लेकर एक बुढ़िया मां घर में अकेली पड़ जाती है तब कर्जदार अपने पैसे मांगने के लिए उस मां के पास जाते हैं और बोलते हैं कि अब तो मेरे पैसे लौटा दो अब तो तुम्हारा बेटा इंजीनियर भी हो गया और जॉब भी पकड़ लिया मां बोलती है मैंने जिसका जिसका पैसा लिया है वह सारे पैसे शुद्ध के साथ मैं लौटा दूंगी हमें थोड़ा समय और दे दीजिए कर्जदार भी दिल के बहुत अच्छे होते हैं वह समय दे देते हैं बोलते हैं
जैसे इतना दिन समय दे दिया पैसे थोड़े दिन और और ऐसे कह कर चले जाते हैं मां सोचने लगती है कि मैं पैसे कहां से लाकर दूं तभी उस बेटे का मनिया डराता है उसमें लिखा रहता है किमाम मेरी विदेशी कंपनी मुझे विदेश बुलाकर ले जा रही है मैं 2 साल तक घर नहीं आऊंगा मां तड़प कर रह जाती है और उसे मनीआर्डर का जवाब देती हैं कि ठीक है बेटा जाओ अपना ख्याल रखना और उस तरीके से मां 2 साल तक इंतजार करती है लेकिन उसका बेटा नहीं आता है मां जब आखरी सांस पर आ जाती है 1 दिन दुनिया छोड़कर चली जाती हैं