Stories in Hindi with moral of Akbar & Birbal |अकबर और बीरबल की मजेदार कहनिया पढ़े वह भी बिलकुल फ्री
Stories in Hindi with moral of Akbar & Birbal – एक बार अकबर और बीरबल राजदरबार में बैठे हुए थे कि तभी एक फरियादी उनके पास फरियाद लेकर के आया जो कि बहुत ही गरीब किसान था उसके तन पर फटे पुराने कपड़े थे और वह देखने में बहुत ही गरीब दिख रहा था इस पर अकबर ने बीरबल से पूछा क्या हमारे राज्य में किसानों की यह दुर्दशा है कि वह इस प्रकार रह रहे हैं बीरबल ने बताया कि महाराज इसकी ऐसी हालत क्यों है यह तो इससे पूछने के बाद ही पता चलेगा इस पर अकबर ने कहा ठीक है फिर इससे पूछो कि इसे किस बात की परेशानी है और यह यहां पर क्यों आया है
जब बीरबल ने उसकी उसकी समस्या के बारे में पूछा तो उसने बताया कि महाराज हमारे गांव में एक बहुत ही समृद्ध महाजन रहते हैं जिनके बच्चे को तंबाकू खाने की आदत लग गई थी वह इस बात से काफी परेशान थे और उन्होंने इस परेशानी से तंग आकर के गांव के सभी लोगों में यह घोषणा करवाया था कि जो लोग उनकी मदद करेंगे उनके बच्चे का तंबाकू छुड़वाने में वह उसे उचित इनाम देंगे
इस पर मैं उनके घर गया और उनसे एक संत के बारे में बताया जिनके समझाने पर उनके बच्चे का तंबाकू का सेवन बंद हो गया और अब उनका बच्चा अब कोई भी नशा नहीं करता है लेकिन वह इस बात से नाराज हो गए और मुझे जान से मारने की धमकी देने लगे और कहने लगे कि तुमने जिस संत के बारे में बताया था वह संत जब मेरे घर आया तो मेरे बच्चे पर कुछ चमत्कारी चीजें नहीं किया केवल कुछ नॉर्मल सी बातें कहीं और समझाया कि तंबाकू का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और उसकी बात मेरा बच्चा मान गया
लेकिन मैं तो उनसे चमत्कार की उम्मीद कर रहा था महाराज आप यह बताएं उनका जो कार्य था वह कार्य संपन्न हो गया फिर भी वह मुझे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं इस पर अकबर बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने बोला बीरबल तुम उस दुष्ट आदमी को तुरंत सभा में प्रस्तुत करो अकबर का आदेश पाकर के बीरबल ने सैनिकों को बोला कि जाओ उस महाजन को पकड़ कर के ले करके आओ सैनिक गए और उस महाजन को पकड़ कर के ले कर के आए
जब महाजन अकबर के सामने उपस्थित हुआ तो बीरबल ने पूछा कि जो तुम्हारा कार्य था जिसे तुम परेशान थे जब उस कार्य को संपन्न करने में इस किसान ने तुम्हारी सहायता की है तो तुम इसे क्यों मारना चाहते हो, तब महाजन ने बताया कि महाराज इन्होने जिस संत के बारे में बताया था वह संत कोई चमत्कार नहीं जानता उसने केवल कुछ अच्छी अच्छी बातें कही जिससे मेरा बच्चा मान गया और तंबाकू खाना छोड़ दिया
लेकिन मुझे गुस्सा इस बात पर आया की इस आसान से काम के लिए जब मैंने उसे पहली बार अपने घर बुलाया था तो उस संत ने मेरे से 22 दिनों की मोहलत मांगी थी कि मैं 22 दिनों के बाद आपसे मिलूंगा और फिर मैं आपके बच्चे को ठीक करूंगा और 22 दिन बाद जब संत आए तो मेरा बच्चा वाकई ठीक हो गया यह सारी नशा गलत आते छोड़ दी लेकिन इस आसान से काम के लिए उसने 22 दिन मेरे खराब कर दिए मैं 22 दिनों तक यह सोचता रहा कि कौन सा चमत्कार यह संत करेगा
लेकिन जब वह हमारे घर आया तो उसने दो ढाई घंटे बात किए और मेरा बच्चा उसका बात मानने लगा इस पर अकबर ने बोला कि यह बात तो बिल्कुल सही है कि जब वह कार्य उसी दिन हो सकता था तो उसने 22 दिन तुमसे क्यों लिए फिर बीरबल ने उस संत को दरबार में पेश करने की आज्ञा सैनिको को दिया, सैनिक गए और उस संत को पकड़ कर के ले कर के आए
संत से जब इसके बारे में पूछा गया तो संत ने बताया कि महाराज जब मैं इनके घर आया था और जब यह अपने बच्चे की तंबाकू खाने की परेशानी के बारे में बता रहे थे उस समय में पान खा रहा था और मेरा मुंह लाल था मैं अक्सर पान खाया करता था जो कि एक तरह का नशा है इसलिए मैंने इनसे 22 दिन लिए अपने आप को नशा मुक्त करने के लिए और फिर मैंने इनके बच्चे को आकर के समझाया क्योंकि जब तक मैं अपने आप को सही नहीं कर लेता तब तक मैं दूसरे को कैसे उपदेश दे सकता हूं इसलिए मैंने 22 दिन इन से लिए थे
इस बात को सुनकर के महाजन को बहुत ही ग्लानि हुई और अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि इस संत को कुछ उपहार के साथ इज्जत से इनके स्थान पर भेज दिया जाए
Moral of This Story
1-इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कई बार हम जो सोच रहे होते हैं या हमे जो दिख रहा होता है वह वास्तव में सही नहीं होता है लेकिन हम अपने आप को सही मानने के चक्कर में अपने आपके इतने अधीन होते हैं कि हम इस बात को समझ ही नहीं पाते और अपने आप को सही साबित करने के चक्कर में दूसरों के साथ गलत कर बैठते हैं
2-इस कहानी से हमें दूसरा शिक्षा यह मिलता है कि हम एक दूसरे को सुधारने से पहले या दूसरे को उपदेश देने से पहले अपने आप को सुधारना चाहिए जिसे देख कर के सामने वाला खुद प्रभावित हो जाए और वह सुधरने पर मजबूर हो जाए
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