कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

राजस्थान के बीकानेर में रहते थे दो भाई अजय और विजय दोनों बहुत अच्छे शिकार थे दोनों की शक्तियों की एक छोटी सी दुकान थी अजय और विजय बारी-बारी से दुकान संभालते और शिल्प याद बनाते 1 दिन की बात है उनकी दुकान पर दो टूरिस्ट है और एक और वह दोनों भाई बहुत खुश हुए तभी एक टूरिस्ट को लौकी बुद्धा की मूर्ति बहुत पसंद आई यह लाफिंग बुद्धा कितना क्यूट है यह टूरिस्ट ने कहा इसका दाम क्या है कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
एक सिक्का टूरिस्ट ने कहा बस और टूरिस्ट ने एक सिक्का दे दिया वह टूरिस्ट निकलने वाली रहती है तभी वह अचानक वह कुछ सोच कर रुक जाती है और मूर्ति बनाने वाले से पूछती है एक बात बताओ तुम दोनों एक महीने में कितनी मूर्तियां बना लेते हो तो जवाब देता है लगभग हम लोग 30 मूर्तियां बना लेते हैं तो टूरिस्ट बोलती हैएक मूर्ति का एक सिक्का 30 मूर्तियों के बस्ती सीसी के तुम दोनों कलाकार अपनी सही मूल्य नहीं लगा रहे हो तभी कलाकार जवाब देते हैं कि हम यहां मूर्तियां महंगे दाम में बेचेंगे तो यह मूर्तियां कोई लेगा ही नहीं अभी टूरिस्ट बोलती है तुम्हें यहां से बाहर उदयपुर जैसे जगह पर जाकर तुम्हें इन मूर्तियों को बेचना चाहिए कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
तुम दोनों बहुत कम आओगे और ऐसा बोल कर और टूरिस्ट लड़की वहां से चली गई अजय और विजय अपने काम में मशरूफ हो गए लेकिन उनके दिमाग में ज्यादा पैसे कमाने की बात घूम रही थी तभी उदय बोलता है विजय क्या हमें उदयपुर जाकर अपनी मूर्तियां बेचनी चाहिए तभी जवाब देता है पता नहीं मैं भी यही सोच रहा हूं तभी बोलता है हो सके हम शायद सच में बहुत अमीर हो जाएं अगर हम उदयपुर में मूर्तियां बेचे तभी जवाब देता हां हो तो सकता है कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
लेकिन उदयपुर जाने के लिए रास्ते में जयपुर रेगिस्तान आता है वह कैसे पार करेंगे तभी उसका दोस्त जवाब देता है कि हम अपने साथ बहुत सारे घड़े के पानी और खाने लेकर चलेंगे तब राजस्थान आराम से पार हो जाएंगे तभी बोलता है हां यह तो बहुत ही अच्छी बात है तभी उसका दोस्त बोलता है तो फिर देर किस बात की अगले सोमवार को ही निकल चलते हैं और जैसा अजय विजय ने सोचा अगले सोमवार निकल पड़े बीकानेर से उदयपुर बैलगाड़ी का रास्ता कुल 7 दिनों का था पहला सूरज डूबा आप दोनों भाई रेगिस्तान पहुंच चुके थे अभी तक उनकी यात्रा बहुत सुखद थी और उन्होंने सूरज ढलते ही बैलगाड़ी को रोका और खाना खाने लगे और साथ में बातें करने लगे कि आज का दिन बहुत अच्छा गुजरा और बहुत जल्दी हम उदयपुर भी पहुंच जाएंगे अगले दिन का सूरज उगने के बाद अजय और विजय की यात्रा फिर से शुरू हो
गई आज सूर्यास्त के साथ खत्म 4 दिन तक उनकी यात्रा एकदम सुखद था आप पांचवा दिन आ गया सूरज की तपती धूप थी और पानी का सिर्फ उनके पास एक घड़ा बचा था जो तेजी से सूख रहा था और तभी उनका दोस्त बोलता है विजय हमें अब जल्दी से पानी ढूंढना होगा वरना हम रेगिस्तान के तेज धूप में झुलस जाएंगे पर इस रेगिस्तान में पानी मिलेगा कहां दोनों भाई यहां वहां पानी ढूंढने लगे अगला दिन आया अब दलों ने भी चलने से इंकार कर दिया तभी अचानक उदय की नजर एक बहुत ही अजीब जगह मिली जहां पर हरे भरे पेड़ पौधे भी थे अजय चौक गया और बोलने लगा जरूर यहां पर पानी होगा पर कैसे और वह बैलगाड़ी से चले गए और बोलता है देखो यहां पर हरे भरे पौधे हैं और यहां पर घास भी हो गई है और घास बिना पानी के नहीं हो
सकता तभी विजय बोलता हां तुम दोस्त बिल्कुल सही कह रहे हो चलो यहां गड्ढा खोदते हैं और दोनों भाई वहां पर गड्ढा खोलना शुरू कर दिया धीरे-धीरे गहरा गड्ढा होने लगा अब सूरज सर पर आ गया था और अभी तक पानी का कोई सुराग नहीं मिला तभी विजय बोलता है शायद हम गलत थे यहां तो पानी ही नहीं है तभी उदय बोला ऐसा नहीं हो सकता हमें थोड़ी और कोशिश करनी चाहिए तभी विजय बोला तुम करो मैं थक गया हूं और विजय वहीं पास में बैठ जाता है और अजय अभी मेहनत कर रहा है 2 घंटे हो गए और और अचानक छोटी सी पानी की धार छुट्टी और जोर-जोर से चिल्लाने लगा पानी मिल गया पानी मिल गया और उदय की आवाज सुनकर विजय खुश हो गया और दौड़कर वहां पहुंच गया और उसने भी हजार उठाया और खोजने लगा और जल्दी ही बहुत सारा पानी इकट्ठा हो गया और दोनों भाइयों ने भी पानी पिया और बैलों को भी पानी पिलाया और घोड़े को भरें और पानी में खुशी से नहाए विजय ने तो हार मान ली थी लेकिन उदय ने हार नहीं मानी थी
और विजय का विश्वास अटल था और उसने खुद ने बंद नहीं किया जानता था कि अगर वह कोशिश करें तो रेगिस्तान से पानी निकालना मुश्किल नहीं था और दोनों भाइयों ने सफर जारी रखा और और अगले दिन दोनों भाई उदयपुर शहर पहुंची गए और जैसा उन्होंने सोचा था वैसा ही मूर्तियों का उन्हें बहुत बड़ा दाम मिला और अजय और विजय दोनों भाई बहुत खुश थे क्योंकि उनकी मेहनत बहुत बढ़िया रंग लाई इसीलिए कहते हैं दोस्तों कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

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